भागलपुर के खरीक प्रखंड के एक गांव में एक महिला से हथियार के बल दुष्कर्म करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि मामले को सुलह व समझौता कराकर दबाने की भरसक कोशिश की गई, लेकिन पीड़ित महिला ने इंसाफ के लिए कानून का दरवाजा खटखटाया है।
27 वर्षीय पीड़ित महिला ने गुरुवार को महिला थाने में केस दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया है। घटना 16 जुलाई की रात की बताई जा रही है। महिला की ओर से थाने में दिए गए आवेदन के मुताबिक, पीड़ित महिला का पति राज्य से बाहर मजदूरी करता है। 16 जुलाई की रात वह घर में बच्चों के साथ सोई हुई थी।
इसी दौरान, गांव का ही रहने वाला एक युवक घर में घुसा और हथियार का भय दिखाकर उसे जबरन कमरे ले गया, जहां उसके साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान, महिला खुद को बचाने के लिए रोई-चिल्लाई। महिला की आवाज सुनकर उसकी 10 साल की बेटी मौके पर पहुंची। उसने आरोपी को मां के साथ जबरदस्ती करते हुए देखा। इसके बाद आरोपी ने हथियार लहराते हुए महिला और बच्चों को जान से मारने की धमकी दी और फिर चला गया।
जब महिला ने इस बात की जानकारी सिंटू के माता-पिता व भाइयों से इसकी शिकायत की तो उन लोगों ने भी महिला के साथ ही मारपीट शुरू कर दी। किसी तरह वहां से बचकर महिला गांव के मुखिया के पास पहुंची और वहां अपनी आपबीती सुनाई। मुखिया समेत कई ग्रामीणों ने उसे बहलाया-फुसलाया। समझौता करने का दबाव बनाया।
महिला के मुताबिक, जब किसी ने भी आरोपी को कोई सजा नहीं दी तो आखिर में पीड़ित महिला थाने पहुंची तो वहां भी महिला को चार दिन टहलाया गया। न केस दर्ज किया और मेडिकल जांच कराई। वहां पर भी महिला को मामले में सुलह करने की सलाह दी गई, जबकि पीड़िता बार-बार तुरंत मामला दर्ज कराने की गुहार लगाती रही। चार दिन लगातार चक्कर लगाते रहने के बाद महिला की शिकायत दर्ज हो सकी।
इससे स्पष्ट होता है कि उक्त थाना बिचौलियों व प्रभावी लोगों के इशारे पर काम कर रहा है। मामले का खुलासा थाने में लगे सीसीटीवी से भी हो जाएगा कि पीड़ित महिला को चार दिनों तक किसके इशारों पर टहलाया जा रहा था। आखिर केस दर्ज करने में चार दिन कैसे लग गए।
विधायक ई शैलेंद्र ने पूछा कि पीड़ित महिला को चार दिन तक महिला थाने में क्यों टहलाया गया? अपराधियों के दबाव में पीड़ित महिला का बयान दर्ज करने में चार दिन का समय लगाया गया। इसके पीछे जिम्मेदार कौन है?